बलिदान दिवस पर याद किये गये डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी-पाक अधिकृत कश्मीर का भारत में विलय हो


लखनऊ।भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर कश्मीर समस्या पर आयोजित संगोष्ठी में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का देश की अखंडता के लिए किया गया बलिदान का स्मरण किया गया और भारत सरकार से मांग की गई कि पाक अधिकृत कश्मीर का भारत में विलय कराने हेतु ठोस कार्यवाही की जाए। भारतीय नागरिक परिषद ने यह कहा की कश्मीर समस्या का एकमात्र समाधान पाक अधिकृत कश्मीर का भारत में विलय है ।

         संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का लक्ष्य भारत के सभी धार्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक चिन्हों को समाप्त करना और कश्मीर घाटी को पूर्णरूपेण हिंदू विहीन करना है ।1989 में मस्जिदों से ऐलान करके कश्मीरी पंडितों को भाग जाने को कहा गया और चार लाख हिंदुओं को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। धारा 370 समाप्त होने के बावजूद आज पुनः कश्मीर में वैसी ही अलगाववादी ताकतें और घटनाएं सर उठा रहे हैं ।उन्होंने कहा कि कश्मीर की प्राचीन आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थिति समझना जरूरी है।कश्मीर में नाग पूजा मत, शैव दर्शन, वैष्णो मत,बौद्ध मत हमेशा ही पुष्पित पल्लवित हुए। इन दर्शनों में कश्मीर में कभी टकराव नहीं हुआ। सम्राट ललितादित्य, अवंती बर्मन, हर्ष, मेघवाहन चंद्र पीड़ आदि ने ही कश्मीरियत को विश्वव्यापी बनाया। आयुर्वेद, गणित, विज्ञान, सांख्यिकी जैसे दर्शन व सिद्धांत कश्मीर में ही पनपे। कनिष्क व मिहिरकुल जैसे विदेशी शासक जो कुषाण व हूण जातियों से थे, ने क्रमशः शैव व बौद्ध मत स्वीकार किया और कोई टकराव नहीं हुआ आज परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत है।

       आज की परिस्थितियों के लिए उन्होंने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए भारत सरकार से मांग की कि पाक अधिकृत कश्मीर का भारत में विलय कराए जाने हेतु रणनीति बनाकर शीघ्र ही ठोस कार्यवाही की जानी चाहिए। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रति आज की तारीख में यही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि डॉक्टर मुखर्जी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी ही नहीं एक महान शिक्षाविद, देशभक्त, राजनेता, सांसद, अदम्य साहस के धनी और मानवतावादी थे। 23 जून 1953 को पूरा देश यह जानकर स्तब्ध रह गया था कि हिरासत में मामूली सी बीमारी के बाद डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रीनगर के मुख्य अस्पताल ले जाया गया जहां रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हुई। आम धारणा है डॉक्टर मुखर्जी को मार डाला गया। उनकी चिकित्सकीय हत्या की गई। डॉक्टर मुखर्जी आज हमारे बीच में नहीं है किंतु भारत की अखंडता के लिए किया गया उनका बलिदान अमर है।

       भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री और महामंत्री रीना त्रिपाठी ने केंद्र सरकार से यह मांग की कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मृत्यु या हत्या की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और सारे देश को इसके पीछे छिपी सच्चाई से अवगत कराया जाए।

      कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कर्मचारी, अधिकारी, शिक्षक और बुद्धिजीवी सम्मिलित हुए। मुख्यतया जयकेश त्रिपाठी,एच एन पांडे, वाई एन उपाध्याय, भारत समृद्धि के महामंत्री धीरज उपाध्याय, आशियाना के पूर्व पार्षद राजेन्द्र पाण्डेय, त्रिवेणी मिश्र, श्याम जी त्रिपाठी, सुमन दुबे, गीता वर्मा,रेनू त्रिपाठी, सरोजबाला सोनी ने अपने विचार रखे।


रीना त्रिपाठी

महामंत्री