गाजे-बाजे ढ़ोल नगाड़ों के साथ गया धाम प्रस्थान किया


जंघई।सनातन धर्म परंपरा में पुत्र के तीन प्रमुख कर्तव्य है। पहला- जीवित माता-पिता की सेवा, दूसरा- देहांत के उपरांत उनका श्राद्ध और तीसरा- उनकी मुक्ति के लिए पवित्र तीर्थ में पिंडदान। इन तीनों को पूरा करने वाला ही अपने पुत्रत्व को सार्थक करता है दिवंगत माता-पिता के प्रति श्रद्धापूर्वक किया गया कर्म ही श्राद्ध है।पितृ पक्ष में अपने माता पिता एवं पूर्वजों के श्राद्ध हेतु मंत्रोच्चारण के बीच तर्पण पिंडदान के माध्यम से सभी बंशावली पर ध्यानपूर्वक ध्यान केंद्रित कर अपने अराध्य इष्टदेव एवं पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं अपने परिवार खानदान की सुख समृद्धि हेतु चनेथू पड़ान गांव निवासी जटाशंकर पांडेय, गायत्री पांडेय, ब्रह्मदीन पांडेय, सुनीता पांडेय, महाराज पांडेय, अंकिता पांडेय श्राद्ध तर्पण हेतु गया धाम प्रस्थान किया।गाजे-बाजे ढ़ोल नगाड़ों के साथ पूरे खानदान में हर घरों में अक्षत छिड़कते हुए पूरे गांव की परिक्रमा गांव के निवासियों के साथ किया फिर गांव के अंतिम छोर पर पिंडदान करके गया धाम प्रस्थान किया।इस अवसर पर आचार्य नित्यानंद शुक्ल, आचार्य मुनीम पांडेय, पुरोहित धर्मेंद्र मिश्रा, कैलाश नाथ पांडेय, मुन्ना पांडेय प्रधान, आशाराम पांडेय पूर्व प्रधान, कृपाशंकर पांडेय, राय साहब पांडेय, अच्छेलाल पांडेय, मनोज पांडेय, संजय पांडेय, रमाशंकर पांडेय, यश, आर्यन, आदर्श, श्लोक, देवर्षि सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।