जंघई।नवरात्र के चौथे दिन गुरुवा तोर को नव दुर्गा पूजा समिति चनेथू प्राथमिक विद्यालय पंडाल में मां के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा भक्तों द्वारा की गई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही ब्रहांड की रचना की थी इन्हें सृष्टि की आदि- स्वरूप, आदिशक्ति माना जाता है। मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान ही है और इनका तेज और प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है आठवें हाथ में जपमाला है मां सिंह का सवारी करती हैं।इस अवसर पर आचार्य धरणीधर शुक्ला द्वारा विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण से सुबह-शाम पूजन अर्चन कराया जा रहा है।इस अवसर पर हीरामनी शुक्ल, राजेंद्र शुक्ल आपरेटर, हरिश्चंद्र शुक्ल, विनय शुक्ला, राजेश मिश्रा, डिंपल शुक्ला, राजा शुक्ला, दयाशंकर मौर्य, शिवमणि शुक्ला, महेश त्रिपाठी, अभिषेक शुक्ला, अनुराग शुक्ला, अंबुज शुक्ला, अविनाश मिश्र, गौरव शुक्ला, युवराज शुक्ला, आदर्श शुक्ला, सूरज शुक्ला, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।