जंघई।आशीर्वाद गेस्टहाऊस में सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। कथा के तीसरे दिन कथा व्यास रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य महाराज ने ध्रुव चरित्र, भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिंह अवतार प्रसंग पर कथा सुनाई। महाराज ने कहा कि मनुष्य को दिखावा न करते हुए भगवान को सच्चे हृदय से याद करना चाहिए।उन्हाेंने कहा कि राजा उत्तानुपाद के दो पत्नियों में एक का नाम सुनीति और दूसरी का नाम सुरुचि था सुरुचि के कहने पर उत्तानुपाद ने सुनीति को जंगल भेज दिया था। एक दिन सुनीति का पुत्र खेलते-खेलते राज दरबार जा पहुंचा और उत्तानुपाद की गोदी में बैठ गया सुरुचि ने उसे फटकारते हुए गोद से उतार कर भगा दिया। इससे दुखी बालक ध्रुव जगंल में तपस्या करने लगा।भीषण बारिश और आंधी, तूफान भी उसे डिगा नहीं सके नारद मुनि के समझाने पर भी ध्रुव ने तपस्या नहीं छोड़ी। कठिन तपस्या देख भगवान ध्रुव के सामने प्रकट हुए और उन्हें ब्रह्मांड में अटल पदवी दी। आज भी ध्रुव तारा अपने स्थान पर अटल रहते हुए चमक बिखेरता है। महाराज ने कहा कि भागवत कथा सही मार्ग दिखाता है, भक्ति करनी है तो ध्रुव और भक्त प्रहलाद जैसी करो भगवान ने प्रहलाद के लिए अवतार लेकर हिरण्कश्यप का वध किया था यदि भक्ति सच्ची हो तो ईश्वरीय शक्ति अवश्य सहायता करती है। उन्होंने कहा कि सभी अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें, जिससे वह बुढ़ापे में अपने माता पिता की सेवा कर सकें, गो सेवा, साधु की सेवा कर सकें।कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे, अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।इस अवसर पर मुख्य यजमान रामेश्वर प्रसाद ऊमरवैश्य, मीरा देवी, मनोज कुमार, मनीष कुमार, आशीष कुमार, पवन कुमार, कृष्ण कुमार, कामता प्रसाद, राधेश्याम तिवारी, शिवधारी दुबे, मिलन दुबे, राजू भाईसाहब, मनोज दुबे, प्रदीप कुमार, महेंद्र जायसवाल, धर्मराज तिवारी, विवेक कुमार जायसवाल, राजन जायसवाल, सुभाष चन्द्र गुप्ता, सचिन सिंह, भरत लाल, कान्हा, किशन, शिवांश, शिवाय, कार्तिक, सावन, शुभ, श्रेयांश, श्याम सहित तमाम लोग मौजूद रहे।