जंघई।महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मणी राजी नहीं था वह रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था रुक्मिणी इसके लिए जारी नहीं थीं। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता। यह कथा सोमवार को आशीर्वाद गेस्टहाऊस जंघई परिसर में चल रही भागवत कथा में अयोध्या धाम से पधारे रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि भागवत कथा ऐसा शास्त्र है जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना पड़ेगा जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं इस दौरान कृष्ण-रुक्मिणी की आकर्षक झांकी बनाई गई। जिनके दर्शन करने भक्तजन भाव विभोर हो गए इस अवसर पर मुख्य यजमान रामेश्वर प्रसाद ऊमरवैश्य, मीरा देवी, ब्लॉक प्रमुख प्रतापपुर शैलेश यादव, एडवोकेट मनोज कुमार बबीता देवी, मनीष कुमार बिंदू, आशीष कुमार गुंजन, पवन कुमार, कृष्ण कुमार, कामता प्रसाद, राधेश्याम तिवारी, रामवृक्ष मिश्रा, शिवधारी दुबे, मिलन दुबे, नन्हे मिश्रा पूर्व प्रधान, राजू भाईसाहब, केशरी सिंह, मनोज दुबे, प्रदीप कुमार, महेंद्र जायसवाल, धर्मराज तिवारी, विवेक कुमार जायसवाल, शैलेश पाठक, आयुष जायसवाल, राजन जायसवाल, सुभाष चन्द्र गुप्ता, सचिन सिंह, भरत लाल, कान्हा, किशन, शिवांश, शिवाय, कार्तिक, सावन, शुभ, श्रेयांश, श्याम सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।