जंघई। जलालपुर गांव में प्रधान रमेश पांडेय के यहां आयोजित श्रीराम कथा में शक्तिपीठ मैहर से आयी साध्वी अन्नपूर्णा माता ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रकाश डाला। राम-सीता विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो। श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा- महाराजा को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे। कथा वाचिका ने कहा कि यदि आपके मन में रामकथा के प्रति उद्गार है तो वहीं से आपका कल्याण मार्ग शुरू हो गया। इसलिए श्रीराम के कर्मो और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। श्रीराम कथा सुनने से संपूर्ण समाज के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। माता ने श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए कहा कि ब्रह्म राम जो जीवन में कभी किसी से कुछ नहीं मांगा लेकिन वो केवट से नांव मांग रहे थे। भगवान राम ने विनती कर केवट से नाव की गुहार लगा रहे थे पर केवट भी गजब का भक्त था। केवट ने कहा कि हे राम मैं आपका मर्म जानता हूं क्योंकि आपके चरणों के रज से पत्थर भी नारी बन जाती है। तो मेरी नाव तो लकड़ी की है, वह तो तुरंत नारी बन जाएगी इसलिए मैं आपका चरण धोना चाहता हूं। भक्त की बातों में आकर भगवान ने उनके आग्रह को स्वीकार किया उन्होंने भगवान राम का चरण धोकर गंगा पार कराया।इस अवसर पर इंजीनियर घनश्याम पांडेय, बाबा मिश्रा, अभयराज मिश्रा, विजय शंकर तिवारी, हरिशंकर दुबे, बच्चन मिश्रा प्रधान, डिंपी पांडेय, अनिल पांडेय, मुरलीधर पांडेय, जवाहरलाल गौड़, सतीश त्रिपाठी, राकेश दुबे, सूर्यमणि शुक्ला, बाबा शुक्ला, इंदिल पांडेय, सचिन तिवारी, अनुज दुबे, विकास यादव, दिलीप, अनिल, विनय, सुजीत, रंजीत, सत्यम, राजन, विशाल, निशांत, अर्थव सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।