जंघई। श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह महरछा बारी में मुख्य यजमान विजयनाथ पांडेय, अविनाश चंद्र पांडेय, अखिलेश चंद्र पांडेय के निवास पर कथा व्यास नित्यानंद शुक्ल महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिवस पर सुदामा चरित्र और राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाकर लोगों को भाव विभोर कर दिया। कृष्ण और सुदामा के जीवन का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि सुदामा जी भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र थे श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में शिक्षार्जन के समय हुई। सुदामा जी अपना व अपने परिवार पत्नी तथा बच्चे का भरण पोषण ब्राह्मण रीति के अनुसार भिक्षा मांग कर करते थे सुदामा इतने में ही संतुष्ट रहकर हरि भजन करते रहते थे। एक दिन वह अपनी पत्नी के कहने पर सहायता के लिए द्वारकाधीश श्री कृष्ण के पास गए। उनकी दशा देखकर तीनों लोकों के स्वामी के आंखों से आंसू आ गए। उन्होंने अपने मित्र सुदामा की दो दिन सेवा करके उन्हें वहां से विदा कर दिया। जब सुदामा जी अपने नगर पहुंचे तो उन्होंने पाया की उनकी टूटी-फूटी झोपड़ी के स्थान पर सुंदर महल बना हुआ है महाराज ने राजा परीक्षित के मोक्ष पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। कथा के प्रथम दिवस से लेकर समापन दिवस तक पूरा क्षेत्र कथा सुनकर भाव विभोर हो गया कथा के पश्चात आरती प्रसाद वितरण किया गया।इस अवसर पर पुरोहित मौला पाठक, आचार्य कमल नयन शुक्ल, आचार्य मनमोहन पांडेय, पारसनाथ पांडेय, काशीनाथ पांडेय, दिनेश चंद्र, अमन, मृत्युंजय, मयंक, अनमोल, किशन सहित तमाम लोग मौजूद रहे।