जंघई। कुंदौरा महादेव मंदिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्री शिवमहापुराण संगीतमयी अमृत कथा के तीसरे दिन कथा वाचिका सुश्री देवी प्रज्ञा श्रीधाम वृंदावन ने नारद कामदेव प्रसंग का वर्णन करते बताया कि एक बार नारद मुनि ने कामदेव को पराजित कर दिया तो इस बात का घमंड हो गया इसके बाद नारद जी जहां जाते, वहां अपनी तारीफ करने लगते ऐसे ही एक दिन वे शिव जी के पास पहुंच गए। नारद जी ने शिव जी के सामने अपनी प्रशंसा करना शुरू कर दी नारद मुनि से पहले शिव जी भी कामदेव को भस्म कर चुके थे, लेकिन इसके लिए शिव जी ने क्रोध किया था। नारद मुनि ने शिव जी से कहा कि मैंने भी कामदेव को जीत लिया है, लेकिन इसके लिए मैंने गुस्सा नहीं किया शिव जी नारद मुनि की बातें सुनकर समझ गए कि इन्हें अहंकार हो गया है शिव जी ने कहा कि आप मुझसे तो ये सब बातें कह रहे हैं, लेकिन विष्णु जी से ये सब मत कहना शिव जी सलाह सुनकर नारद जी को लगा कि शिव जी को मेरी प्रशंसा अच्छी नहीं लग रही है इसलिए ऐसा कह रहे हैं। शिव जी से विदा लेकर नारद मुनि विष्णु जी के पास पहुंच गए शिव जी की सलाह को अनदेखा करते हुए नारद मुनि ने विष्णु जी के सामने अपनी तारीफ करनी शुरू कर दी । विष्णु जी के सामने नारद मुनि ने अहंकार दिखाया तो विष्णु जी ने तय किया कि नारद जी भक्त हैं और इनके घमंड करना सही नहीं है इसके बाद विष्णु जी ने अपनी माया रची नारद मुनि विष्णु जी के यहां लौट रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक सुंदर राज्य दिखा वे उस राज्य में पहुंचे तो वहां देखा कि एक राजकुमारी का स्वयंवर हो रहा है राजकुमारी बहुत सुंदर थी उसे देखकर नारद ही मोहित हो गए और तुरंत ही विष्णु जी के पास पहुंच गए। नारद मुनि ने विष्णु जी से कहा कि आप मुझे सुंदर रूप दे दीजिए ताकि मैं उस स्वयंवर में जाऊं और वह राजकुमारी मुझे अपना वर चुन ले मैं उससे विवाह करना चाहता हूं। विष्णु जी ने नारद जी से कहा कि मैं वही करूंगा जो आपके लिए अच्छा है इसके बाद नारद मुनि उस स्वयंवर में पहुंच गए विष्णु जी ने नारद मुनि को बंदर यानी वानर का मुख दे दिया था स्वयंवर में नारद पहुंचे तो वहां बंदर जैसे मुख की वजह से उनका बहुत अपमान हुआ। गुस्से में नारद मुनि ने विष्णु जी को शाप दे दिया, लेकिन जब उनका मन शांत हुआ तो उन्हें पूरी बात समझ आ गई जब नारद का घमंड टूटा तो उन्होंने भगवान से क्षमा मांगी। इस कथा से संदेश मिल रहा है कि किसी भी स्थिति हमें घमंड नहीं करना चाहिए अगर कोई व्यक्ति सही सलाह दे रहा है तो उस पर अमल जरूर करना चाहिए, वर्ना समस्याएं बढ़ सकती हैं। इस अवसर पर यज्ञाचार्य पंडित सुरेश कुमार द्विवेदी, आचार्य पंडित विनय कुमार मिश्र, भजन गायिका देवी प्रियंका, ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं यजमान हरिप्रसाद मिश्रा एवं राधिका देवी प्रधान, अशोक कुमार तिवारी, बालकृष्ण तिवारी, काशीनाथ शुक्ला, सच्चिदानंद पांडेय, पिंटू पांडेय प्रधान, राजेंद्र प्रसाद शुक्ला कल्लू नेता, सुरेंद्र तिवारी, डॉ छोटेलाल पांडेय, अनिल पांडेय, दुर्गेश शुक्ला, शिवकुमार तिवारी, सुमित तिवारी, संगम पांडेय, हरिशंकर पांडेय एवं संगीताचार्य पवन प्रीत, तबला वादक पार्थ मिश्र, पैड वादक मोहित तिवारी, अजय यादव सहित तमाम लोग मौजूद रहे।