जंघई। सनातन धर्म परंपरा में पुत्र के तीन प्रमुख कर्तव्य हैं पहला- जीवित माता-पिता की सेवा, दूसरा- देहांत के उपरांत उनका श्राद्ध और तीसरा- उनकी मुक्ति के लिए पवित्र तीर्थ में पिंडदान, इन तीनों को पूरा करने वाला ही अपने पुत्रत्व को सार्थक करता है दिवंगत माता-पिता के प्रति श्रद्धापूर्वक किया गया कर्म ही श्राद्ध है।

पिंडदान, तर्पण और दान इसकी विधि है जो किसी पवित्र तीर्थ के तट पर करने का विधान है। रविवार को अपने पितरों एवं माता पिता के श्राद्ध तर्पण हेतु टिकरा गांव निवासी अशोक कुमार मिश्रा, प्रमोद कुमार मिश्रा, अनिल कुमार मिश्रा, कृष्ण कुमार मिश्रा, देवी प्रसाद मिश्रा गाजे-बाजे ढ़ोल नगाड़ों के साथ पूरे खानदान के हर घरों में अक्षत छिड़कते हुए पूरे गांव की परिक्रमा करते हुए गया धाम की यात्रा पर प्रस्थान किया।