जंघई।बरना, जंघई गांव में मुख्य यजमान प्रेमा देवी एवं फूलचंद्र पीसी सिंह के निवास पर आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक पंडित आशीष महाराज ने समापन दिवस पर शनिवार को सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह हम भगवान श्री कृष्ण एवं सुदामा जी से समझ सकते हैं। महाराज ने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के आग्रह पर अपने मित्र बाल सखा सुदामा से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचें सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए महाराज ने परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाकर कथा संपन्न किया। इस अवसर पर आचार्य लोलारख नाथ मिश्र, परिजनों में दीपक सिंह सोम जनसेवक एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट, आशीष सिंह, राजमनि सिंह, जगदीश बहादुर सिंह, लाल बहादुर सिंह, पीएन सिंह, सुनील सिंह, चंद्रशेखर सिंह, पंकज सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे।