जंघई।रघुनाथपुर, धनूपुर में मुख्य यजमान पंडित राम अधार शुक्ल एवं शारदा देवी के निवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ सप्ताह के प्रथम दिवस शुक्रवार को कथा व्यास स्वामी रामानुजाचार्य हरिप्रपन्नाचार्य महाराज द्वारा सात दिवसीय संगीतमय कथा का शुभारंभ कलश यात्रा, वेदी पूजन के साथ किया गया।महाराज ने श्रीमद्भागवत महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं हो सकता।

भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है।भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है।


श्रीमद्भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं।प्रथम दिन की कथा संपन्न होने पर आरती करने के पश्चात उपस्थित श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया गया।इस अवसर पर शेषधर शुक्ल, फूलचंद्र शुक्ल, आचार्य अशोक शुक्ल, अंबुज आचार्य, मदन आचार्य, अंकित आचार्य, आनंद शुक्ल, शैलेंद्र शुक्ल, विमल शुक्ल, पंकज शुक्ल, महिमा शुक्ल, संकर्षण शुक्ल, विशाल शुक्ल गोलू, अभिषेक शुक्ल, मुन्नू, सिंटू, भोला, त्रिभुवन, राजकुमार सहित तमाम लोग मौजूद रहे।