जंघई। सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के समापन दिवस पर कथा व्यास डॉ महेंद्र शास्त्री महाराज प्रयागराज द्वारा मुख्य यजमान इंद्रावती देवी शरद कुमार मोलई तिवारी के निवास अनुवां में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह हम भगवान श्री कृष्ण एवं सुदामा जी से समझ सकते हैं। महाराज ने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के आग्रह पर अपने मित्र बाल सखा सुदामा से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचें सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए और सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की महाराज ने परीक्षित मोक्ष कथा सुनाकर कथा संपन्न किया। कथा संपन्न होने के बाद पूर्णाहुति हवन आरती एवं विशाल भंडारा आयोजित किया गया।इस अवसर पर यज्ञाचार्य गणेश दत्त पांडेय, अमृतलाल तिवारी, सुभाष तिवारी, गिरिश तिवारी, शैलेश तिवारी, आनंद तिवारी, राकेश तिवारी, प्रदीप तिवारी, संदीप तिवारी, आशीष तिवारी, नीरज शुक्ला, शिवम तिवारी, सत्यम तिवारी, सुयश तिवारी, सुधांशु तिवारी, हिमांशू तिवारी, आकाश तिवारी, विकास तिवारी, हर्ष तिवारी, आयुष तिवारी, रौनक तिवारी, पीयूष तिवारी, साहिल तिवारी, अनंत तिवारी, शिवांश तिवारी, शिवाय तिवारी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।