कुशीनगर मे  हजारो एकड़ गन्ना की फसल सूखने से किसानो के चेहरो पर चिंता की लकीरे


मुआवजा की मांग की गयी


भगवन्त  यादव संबाददाता

  कुशीनगर जिलेे में हजारो एकड़ गन्‍ने का फसल  जल जमाव व उकठा रोग से  सूख रहाहै जिससे किसानो के चेहरो पर चिंता की लकीरे देखने को मिल रही है  घर परिवार का खर्चा बेटे बेटी की पढ़ाई दवाई व शादी की खर्च की  चिन्ता बढ़ गयी है बताते चले कि गन्ना का  उत्‍पादन सबसे अधिक पिछले समय  मे  होता रहा है जो तीन साल से यहांं गन्‍ने के उत्‍पादन घट गयी है। खेतों में पानी लगना और रोगों का प्रकोप होना इसकी प्रमुख वजह बताई जा रही है।


 कुशीनगर जनपद के  सहकारी गन्ना विकास समिति हाटा में 180 गांव है। गन्ना पेराई सत्र 2019-20 में 20794 किसानों ने ढाढ़ा चीनी मिल को बेचा था। पेराई सत्र 2019-20 में गन्ने की फसल को काना उकठा रोग लगने तथा अधिक जलजमाव  के कारण समिति क्षेत्र में गन्ने की आपूर्ति 13 लाख क्विटल घट गई। कमोबेश यह स्थिति पूरे जिले में देखने को मिली।



 किसानों के गन्ना उकठा रोग व जलभराव से गन्ना  सूख रहे है



रामकोला खड्डा पडरौना कप्तानगंज  हाटा आदि क्षेत्रोमे

सूख गई गन्ने की फसल,हजारो  एकड़ से ज्यादा गन्ने के फसल बर्बाद, किसान परेशान

काना रोग के नियंत्रण की नहीं बन पाई है कोई दवा 

उकठा रोग के नियंत्रण की कोई दवा नहीं बना पाई है। जिस खेत में गन्ना सूख रहा है, उसमें बोआई ने करें। जरूरी हो तो खेत के अनुसार अर्ली या सामान्य प्रजाति का गन्ना ही बोएं। बताया कि ढ़ाढ़ा चीनी मिल क्षेत्र में अब तक 1200 मिमी वर्षा हो चुकी है। जबकि गन्ने की फसल के लिए 800 से 900 मिमी वर्षा ही उपयुक्त है। यही हाल अन्य क्षेत्रों में भी है।  बताया गया कि वर्ष 2019-20 में गन्ना क्षेत्रफल 9452 हेक्टेयर था जो वर्ष 2020-21 में घटकर 6599 हेक्टेयर हो गया। सत्र 2021-22 में हाटा समिति में गन्ना क्षेत्रफल 5021 हेक्टेयर 

गन्ने की फसल में खर-पतवार का ऐसे करें नियंत्रण, बढ़ेगी उपज

खेत में पानी लगने से भी सूख रही गन्‍ने की फसल, किसानों ने की मुआवजे की मांग


फाजिलनगर सेवरही विकास खंड तमकुही के अधिकांश गांव में खेतों में गन्ना की फसल जलभराव से सूखकर बर्बाद हो रही है। किसान सरकार से फसली ऋण बीमा योजना के तहत मुआवजा की मांग कर रहे हैं। विकास खंड के न्याय पंचायत महुअवा-देवरिया, कोटवा टीकमपार, रजवटिया आदि में अधिकांश किसानों के खेत अति वर्षा के चलते जलभराव के शिकार हो गए हैं और गन्ना सूख गया है। मिल प्रशासन द्वारा दवाओं के छिड़काव कर फसल बचाने की कवायद भी काम नहीं आई।रामकोला क्षेत्रके  सिधावे अमवा मोतीपाकड़ कुसम्हा आदि सैकड़ो गांव के गन्ने की बर्बादी की तस्वीर खड़ी है। किसानो का कहना है कि हम लोगों ने बैंकों से केसीसी ऋण लिए हैं। फसल ऋण बीमा की किस्त हर साल बैंक द्वारा ली जाती है। प्रशासन फसल नुकसान का आंकलन करा के बैंकों से मुआवजा दिलवाए। जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि किसानों की गन्ने की फसल प्रभावित हुई है। इसकी रिपोर्ट शासन को गयी है किसानो मे चिन्ता की लहर है गन्ने की फसल बोने से कतरा रहे है किसान गन्ना की प्रजाति व दवा का प्रवन्ध हेतु सरकार से मांंग की गयी है