जंघई। सनातन धर्म परंपरा में पुत्र के तीन प्रमुख कर्तव्य हैं पहला- जीवित माता-पिता की सेवा, दूसरा- देहांत के उपरांत उनका श्राद्ध और तीसरा- उनकी मुक्ति के लिए पवित्र तीर्थ में पिंडदान। इन तीनों को पूरा करने वाला ही अपने पुत्रत्व को सार्थक करता है। दिवंगत माता-पिता के प्रति श्रद्धापूर्वक किया गया कर्म ही श्राद्ध है। पिंडदान, तर्पण और दान इसकी विधि है जो किसी पवित्र तीर्थ के तट पर करने का विधान है। मंगलवार को छोटा कठार निवासी रामबिलास पांडेय, रामजी पांडेय अपने पित्रों एवं माता पिता के श्राद्ध तर्पण हेतु गाजे-बाजे ढ़ोल नगाड़ों के साथ पूरे खानदान के हर घरों में अक्षत छिड़कते हुए पूरे गांव की परिक्रमा करते हुए गया धाम की यात्रा पर प्रस्थान किया। इस अवसर पर सीताराम पांडेय, जयराम पांडेय, रामचंद्र पांडेय, नारायण पांडेय, विजय पांडेय, डॉ संजय, रवि, राजेश, सचिन, डॉ मनोज, नाथूराम, आकाश, डॉ गगन, प्रथम, यश, देवांश सहित तमाम ग्रामवासी मौजूद रहे।