जंघई।श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक डॉ महेंद्र शास्त्री महाराज ने उधव चरित्र, महारासलीला व रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। मुख्य यजमान इंद्रावती देवी, शरद कुमार मोलई तिवारी के निवास अनुवां में आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक ने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया।आयोजकों की ओर से आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया।इस अवसर पर यज्ञाचार्य गणेश दत्त पांडेय, अमृतलाल तिवारी, सुभाष तिवारी, गिरिश तिवारी, शैलेश तिवारी, आनंद तिवारी, राकेश, प्रदीप, संदीप, आशीष, नीरज शुक्ला, शिवम, सत्यम, सुयश, सुधांशु, हिमांशू, आकाश, विकास, हर्ष, आयुष, रौनक, पीयूष, साहिल, अनंत, शिवांश, शिवाय तिवारी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।